❤श्री राधा मदनमोहन❤
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प्रीति पगी श्री लाड़िली, प्रीतम स्याम सुजानदेखन में दो रूप है, दोऊ एक ही प्रानललित लड़ैती लाड़िली, लालन नेह निधानदोउ दोऊ के रंग रँगे, करहिं प्रीति प्रतिदानरे मन भटके व्यर्थ ही, जुगल चरण कर रागजिनहिं परसि ब्रजभूमि को, कन कन भयो प्रयागमिले जुगल की कृपा से, पावन प्रीति-प्रसादऔर न अब कछु चाह मन, गयो सकल अवसादमेरे प्यारे साँवरे, तुम कित रहे दुरायआवहु मेरे लाड़िले! प्रान रहे अकुलाय
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